रांची। देश के प्रथम कृषि मंत्री एवं प्रथम राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद का जन्मदिवस बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में कृषि शिक्षा दिवस के रूप में मनाया गया।
बीएयू के कुलपति डॉ एससी दुबे ने कहा कि नयी सोच वाले मेधावी विद्यार्थी कृषि पाठ्यक्रम में आएंगे तभी कृषि क्षेत्र का विकास तेजी से होगा। केवल पैकेज के पीछे भागने के बजाय नई पीढ़ी को भीड़ से अलग हटकर कुछ करने और अपनी विशिष्ट पहचान बनाने का प्रयास करना चाहिए। यह सुखद पहलू है कि आईआईटी और आईआईएम से पढ़ने वाले बहुत से विद्यार्थी कृषि क्षेत्र से जुड़ रहे हैं और परिदृश्य में बदलाव के लिए काम कर रहे हैं। कृषि को केवल आजीविका का साधन नहीं बल्कि व्यवसाय बनाना होगा तभी लाभ बढ़ेगा।
राज्य में आलू की कमी की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि झारखंड में आलू की फसल थोड़ा विलंब से तैयार होती है इसलिए बंगाल पर निर्भर रहना पड़ता है। बीएयू आलू की अगात किस्मों के विकास पर शोध करेगा ताकि दूसरे राज्यों पर निर्भरता नहीं रहे। साथ ही राज्य में कोल्ड स्टोरेज की संख्या में पर्याप्त वृद्धि करनी होगी ताकि यहां की फसल भावी जरूरतों के लिए संरक्षित रखी जा सके।
उन्होंने कहा कि डॉ राजेंद्र प्रसाद के सादा जीवन उच्च विचार, सेवा भाव और वैचारिक समन्वय के आदर्श को आत्मसात करने की आवश्यकता है। कुलपति ने कहा की राजेंद्र बाबू द्वारा लिखित पुस्तकें यदि उपलब्ध होंगी तो उन्हें मंगाकर बीएयू के पुस्तकालयों में रखा जाएगा। एक अग्रणी लेखक, संपादक, अधिवक्ता, समाजसेवी और राजनेता होने के बावजूद वह घर की सफाई खुद करना पसंद करते थे, सुविधा सम्पन्न घर छोड़कर पटना के सदाकत आश्रम की मड़ई में रहना पसंद करते थे और प्रतिदिन भूंजा खाने के शौकीन थे।
कुलसचिव डॉ नरेंद्र कुदादा ने बीएयू के विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आवश्यक अर्हता पर प्रकाश डाला।
इस अवसर अधिष्ठाता वानिकी डॉ एमएस मलिक, कृषि संकाय के डीन डॉ डीके शाही, निदेशक छात्र कल्याण डॉ बीके अग्रवाल, एनएसएस समन्वयक डॉ बीके झा तथा बीएयू एवं संत जोसेफ स्कूल, कांके के छात्र- छात्राओं ने भी अपने विचार रखे।
संचालन शशि सिंह ने किया।
आईसीएआर के आह्वान पर यह दिवस प्रतिवर्ष मनाया जाता है जिसका उद्देश्य हाई स्कूल एवं कॉलेज के छात्र-छात्राओं को कृषि क्षेत्र की परिस्थितियों के प्रति जागरूक बनाना तथा उन्हें कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में करियर बनाने तथा उद्यमी बनने के लिए प्रेरित प्रोत्साहित करना है।
कार्यक्रम में संत जोसेफ स्कूल, कांके के 200 से अधिक विद्यार्थियों एवं शिक्षकों ने भाग लिया, जिन्हें कृषि क्षेत्र के विभिन्न पाठ्यक्रमों, स्कॉलरशिप, फेलोशिप, करियर अवसर, खेती बारी की नवीनतम तकनीकों आदि के बारे में जानकारी दी गई।