Ranchi: ग्लोबल वार्मिंग और प्रकृति के साथ अनवरत खिलवाड़ को कैसे रोका जाए? इस विषय को लेकर स्थानीय मनरेसा हाउस में तीन दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई थी.
कार्यशाला में चिंता व्यक्त की गई कि पृथ्वी पर सजीव प्राणियों का बचना बहुत ही मुश्किल होता जा रहा है। इसी ग्लोबल वार्मिंग के कुप्रभाव से आक्सीजन,जल, वायु मंडल में प्रदूषण का प्रभाव,खनन, अत्यधिक गाड़ियों एवं बिजली के उपयोग, अंधाधुंध उद्योग के कारण विश्व को साइक्लोन, बाढ़ तुफान का सामना करना पड़ रहा है।
कार्यशाला में बातें छन कर आई कि जागरूकता अभियान चलाने की नितांत आवश्यकता है। वक्ताओं ने कहा कि इस बदहाली से बचने के लिए पृथ्वी में रहने वाले मनुष्य जाति एवं सभी सजीवों और प्रकृति के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है।
इसलिए वृक्षारोपण एक बड़ा क्रांतिकारी अभियान हो सकता है क्योंकि जंगल जल जमीन बचाने के लिए पर्यावरण को बचाना होगा।
इस तीन दिवसीय “क्लाइमेट चेंज ट्रेनिंग प्रोग्राम” कार्यक्रम का आयोजन एनस्योरिंग सोशल प्रोटेक्शन संस्था द्वारा किया गया था। जिसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन ग्लोबल वार्मिंग से बचने के लिए जन समुदाय को प्रकृति के साथ अपने रिश्ते को बरकरार रखने के लिए प्रयास और प्रशिक्षण को जारी रखना।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में चार राज्यों छत्तीसगढ़, सिलीगुड़ी पश्चिम बंगाल, दिल्ली और उड़ीसा के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। झारखंड से पश्चिमी सिंहभूम, लोहरदगा गुमला सिमडेगा साहिबगंज गोड्डा पाकुड़ दुमका और रांची जिला के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
इस कार्यक्रम के संयोजक फा: जेवियर सोरेंग और दिल्ली की टीम शामिल थे। प्रशिक्षक के रूप में राष्ट्रीय प्रशिक्षक जलवायु परिवर्तन – श्री प्रोशिन घोष उपस्थित थे।