भाजपा पर परिवारवाद का दाग

झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा द्वारा अपने 66 उम्मीदवारों की सूची घोषित किए जाने के साथ ही पार्टी से नेताओं का पलायन शुरू हो गया और पार्टी छोड़ने वालों ने पार्टी पर राजद, झामुमो और कांग्रेस की राह पर चलने का आरोप लगाया, जहां परिवारवाद पार्टी पर हावी है।
आरोप लगाने वालों में पूर्व मंत्री लुईस मरांडी, केदार हाजरा, सत्यानंद झा बटुल्ल के अलावा अन्य प्रमुख लोग शामिल हैं। इनमें से कई भाजपा नेता झामुमो और अन्य दलों में शामिल हो गए, जबकि कई ने चयन के विरोध में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का फैसला किया।
हालांकि पार्टी ने डैमेज कंट्रोल की कोशिश की और अपने कुछ नेताओं को बचाया, लेकिन परिवारवाद के दाग से अभी भी छुटकारा नहीं मिल पाया है। पार्टी नेता अभी भी ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास की बहू, पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के बेटे को पार्टी उम्मीदवार बनाए जाने के पीछे का तर्क जानना चाहते हैं। वे सवाल पूछ रहे हैं कि पार्टी में शामिल होने वाला व्यक्ति 10 मिनट के भीतर पार्टी टिकट के लिए पात्र कैसे हो जाता है।
हालांकि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि परिवारवाद का मतलब है एक परिवार द्वारा राजनीतिक पार्टी चलाना, स्थापित नेताओं के योग्य रिश्तेदारों का चयन न करना, लेकिन पार्टी अभी भी परिवारवाद के कलंक से मुक्त नहीं हो पाई है। अब चुनाव नजदीक है और सभी पार्टियां चुनावी मोड में हैं, देखते हैं मतदाता भाजपा की चयन प्रक्रिया को किस तरह लेते हैं।