जेएसएससी ने सीजीएल परीक्षा पेपर लीक के साक्ष्य पर असंतोष जताया, सबूत देने वालों ने कहा कि पर्याप्त सबूत मुहैया कराए गए हैं
रांची: जेएसएससी सचिव सह जेएसएससी-सीजीएल परीक्षा पेपर लीक मामले की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय जांच समिति के अध्यक्ष सुधीर कुमार गुप्ता ने अंतिम अवसर दिए जाने पर पेपर लीक के सबूत मुहैया कराने वालों से अब तक उपलब्ध कराए गए साक्ष्य की गुणवत्ता पर असंतोष जताया।
गुप्ता द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि “……. कुणाल प्रताप, आशीष कुमार, प्रकाश कुमार, रामचंद्र मंडल, विनय कुमार, प्रेमलाल ठाकुर को आयोग के समक्ष उपस्थित होकर अपना पक्ष एवं साक्ष्य प्रस्तुत करने का अंतिम अवसर दिया गया था, लेकिन केवल प्रकाश कुमार ही उपस्थित हुए तथा उनके द्वारा 8 पृष्ठों की रिपोर्ट उपलब्ध कराई गई। इसमें तीन मोबाइल नंबरों का उल्लेख है…. मूल फोटो/वीडियो किस मोबाइल से बनाया गया, इसका उल्लेख किया गया है, लेकिन मोबाइल एवं मोबाइल धारक का नाम प्रस्तुत नहीं किया गया। साथ ही फोटो एवं वीडियो की सत्यता एवं प्रमाणिकता के संबंध में शपथ पत्र भी उपलब्ध नहीं कराया गया। एक अलग पेन ड्राइव उपलब्ध कराई गई है, जिसमें एक पेज का वीडियो एवं उस पेज पर कुछ शब्द लिखे हुए हैं। आज उपलब्ध कराई गई पेन ड्राइव में वर्णित तथ्यों का उल्लेख पूर्व में प्रस्तुत शिकायत पत्र में नहीं किया गया है। ऑडियो वॉयस रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध नहीं कराई गई है। कोचिंग संचालकों एवं अभ्यर्थियों को आयोग के समक्ष उपस्थित होकर अपना पक्ष एवं साक्ष्य प्रस्तुत करने का यह अंतिम अवसर दिया गया था…..” पत्र के जवाब में अभ्यर्थियों ने एक पत्र साझा किया, जो प्रकाश कुमार द्वारा गुप्ता को उपलब्ध कराया गया था। पत्र के माध्यम से यह स्पष्ट किया गया है कि जेएसएससी को कई सबूत उपलब्ध कराए गए हैं और निष्पक्ष जांच की जेएसएससी की मंशा पर सवाल उठाया गया है। “……………महोदय, इससे पूर्व आपने अपने पत्रांक 2896 दिनांक 03/10/2024 के माध्यम से प्रश्नपत्र एवं पेन ड्राइव में सेव किये गये प्रश्नपत्र के उत्तरों तथा प्रश्नपत्र पर लिखे शब्दों के मध्य सम्बन्ध स्पष्ट करने को कहा था। इसका पूर्ण विवरण हमने आयोग के समक्ष दिनांक 05/10/2024 को ईमेल के माध्यम से पत्र के माध्यम से प्रस्तुत किया है। जिसकी प्रतिलिपि मैं पुनः इस पत्र के साथ संलग्न कर आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ।……….महोदय, उपरोक्त तथ्यों के अतिरिक्त साक्ष्य के रूप में एक समर्पित पेन ड्राइव में संग्रहित किये जाने की बात कही जा रही है।……….फोटो एवं वीडियो मूल रूप से बनाने वाले उपरोक्त तीनों अभ्यर्थी आशीष कुमार, रामचन्द्र मंडल, प्रेमलाल ठाकुर स्वयं अपने मूल मोबाइल के साथ क्रमशः दिनांक 26/09/2024 एवं 30/09/2024 को वार्ता के दौरान उपलब्ध थे।……….इस दौरान हमने यह भी कहा था कि आप इनके मोबाइल फोन एवं साक्ष्य को देखें, आवश्यकतानुसार जांच एवं पूछताछ करें। परन्तु आपने दोनों बार यह कहते हुए स्पष्ट रूप से मना कर दिया कि मैं इस विषय में सक्षम अधिकारी नहीं हूँ और न ही मैं इस पर किसी विशेषज्ञ की नियुक्ति नहीं की गई है। लेकिन अब आपने अपने पत्र, पत्रांक 2901 दिनांक 05/10/2024 के माध्यम से उपर्युक्त अभ्यर्थियों को 07/10/2024 को मूल मोबाइल के साथ स्क्रूटनी हेतु आयोग कार्यालय में उपस्थित होने का निर्देश दिया है। महोदय, इस संदर्भ में मैं यह कहना चाहता हूं कि आपके पूर्व के कथन के अनुसार क्या कोई सक्षम प्राधिकार एवं विशेषज्ञ प्राधिकार गठित किया गया है, जिसके समक्ष उपर्युक्त अभ्यर्थियों को मूल मोबाइल के साथ उपस्थित होना है? कृपया इस आशय को स्पष्ट करने का कष्ट करें……..,” पत्र में लिखा है।
पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि JSSC जांच समिति को मूल दस्तावेज क्यों उपलब्ध नहीं कराए जा सकते हैं।
“…. महोदय, ज्ञातव्य है कि इस मामले में शिक्षक राजेश प्रसाद द्वारा आपराधिक प्राथमिकी (ऑनलाइन प्राथमिकी) दर्ज कराई गई है। साथ ही दो अन्य शिक्षक प्रकाश कुमार एवं श्याम कुमार द्वारा माननीय झारखंड उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई है। अतः इस स्थिति में कृपया स्पष्ट करें कि मूल साक्ष्य के साथ मूल मोबाइल फोन किस व्यवस्था में आपके समक्ष प्रस्तुत किया जाए। क्योंकि आपके द्वारा पूर्व में वर्णित चर्चा में दिए गए कथनों एवं आपके पत्रांक 2901 के माध्यम से दिए गए कथनों में विरोधाभास प्रतीत होता है। अतः इस परिप्रेक्ष्य में कहा जाता है कि मूल साक्ष्य, मूल मोबाइल फोन प्रस्तुत करने के लिए एफआईआर मामले में अधिकृत पुलिस पदाधिकारियों एवं आवश्यकतानुसार किसी अन्य अधिकृत विशेषज्ञ प्राधिकारी को भी जांच समिति के समक्ष आमंत्रित/उपस्थित होने की व्यवस्था की जाए। ताकि मूल साक्ष्य, मूल मोबाइल फोन उपरोक्त अभ्यर्थियों द्वारा अधिकृत पुलिस पदाधिकारियों एवं विशेषज्ञ प्राधिकारी के समक्ष ही समर्पित किया जा सके। जिससे मूल साक्ष्य के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ की संभावना न रहे तथा आगे की जांच कार्रवाई सकारात्मक रूप से आगे बढ़ाई जा सके।,….” पत्र में लिखा गया है।