Ranchi: कोर्ट में छुट्टियों के चलते जेल में बंद कैदियों का जमानत और ट्रायल बाधित होने से आहत होकर अधिवक्ता सुधीर श्रीवास्तव ने भारत सरकार के केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल को ज्ञापन दिया और मांग किया की सुप्रीम कोर्ट से लेकर सिविल कोर्ट तक छुट्टियों में कटौती हो ताकि लंबित मुकदमों का बोझ कम हो सके।
श्रीवास्तव ने बताया की आज के दौर में सुप्रीम कोर्ट ,हाई कोर्ट और सिविल कोर्ट में वर्ष भर में सात से आठ महीने ही कोर्ट चलते हैं ,और पीड़ित टकटकी लगाकर न्याय का इंतजार करते हैं।जिसका बेटा,पति,भाई,पिता जेल में होगा क्या वो दुर्गा पूजा का छुट्टी में आनंद लेते होंगे? नहीं बल्कि वो रोज दिन गिनते होंगे की कब कोर्ट खुलेगा की उनका मामला सुनवाई होगा।जो रिटायर हो गए और उनको पेंशन ,ग्रेच्युटी के लिए कोर्ट में केस किए होंगे तो क्या वो दुर्गा पूजा में घोषित छुट्टी में खुशी से होंगे नहीं बल्कि वो रोज ये कहकर उस दुकानदार से समान उधार में लेते होंगे की बस अब कोर्ट खुलने वाला है।
दुर्गा पूजा से छठ तक जैसे ही सिविल कोर्ट में छुट्टी होती है पूरे एक महीने का तो जज,वकील,कोर्ट स्टाफ सब अपने अपने तरीके से त्योहार का आनंद लेते हैं अपने परिवार के बीच में रहते हैं बाहर जाकर छुट्टियां मनाते है पर कोई उनके बारे में सोचे जो जेल में बंद है , जिनके जमीन पर रंगदारों ने जबरन कब्जा कर लिया है और निर्माण कर लिया है वो कहां जाए ?थाना कहता है सिविल मामला है कोर्ट जाइए कोर्ट गए तो ताला बंद ,क्या करे पीड़ित ? अगर कोर्ट खुला रहता तो तुरंत शिकायत दाखिल होता और सुनवाई होता पर कोर्ट में इतना बंदी है की लोग खुद कोर्ट की छुट्टियों की डायरी पॉकेट में रखते हैं।
ज्ञापन की प्रति अध्यक्ष ,बार कौंसिल ऑफ इंडिया को भी दी गई है।