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सनातनी सिद्धांत है एकात्म मानववाद: प्रो. क्षिति भूषण दास

Ranchi: झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय में पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्मोत्सव मनाया गया। स्वागत वक्तव्य देते हुए सीयूज़े के माननीय कुलपति प्रो. क्षिति भूषण दास ने कहा, समाज के अंतिम जन को हमे जानना एवं समझना होगा। अंतिम जन के उदय के बिना देश का विकास नहीं हो सकता।किसी के पास दुःख नहीं रहे, इसके लिए एकात्म मानववाद महत्वपूर्ण है। उन्होंने सनातनी सिद्धांत पर भी प्रकाश डाला।

मुख्य अतिथि प्रख्यात समाजसेवी श्री रामाशीष सिंह ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद से विद्यार्थियों को परिचित करवाते हुए कहा, देश का दारोमदार विद्यार्थियों पर है। उपाध्याय जी ने जब एकात्म मानववाद दुनिया को दिया उस समय दुनिया में पूंजीवाद और समाजवाद अपने विचारों को विस्तार दे रहे थे। ऐसे में भारतीय विचार को स्थापित करना चुनौतीपूर्ण था। लेकिन उपाध्याय जी इस बात को समझते थे कि देश का विकास भारतीय दृष्टि से ही हो सकता है। इसके लिए उन्होंने भारतीय ऋषियों-मुनियों , संस्कृतियों से उपजे विचारों पर आधारित एकात्म मानववाद का सिद्धांत हम सभी को दिया।विकास के लिए हम सभी में अवधारणात्मक स्पष्टता का होना अनिवार्य है और भारतीय दृष्टि ही यह स्पष्टता दे सकता है। आगे उन्होंने भारत देश की ऐतिहासिकता को भारतीय दृष्टि से समझाया। साथ ही उन्होंने विश्वविद्यालय को गाँवों से जुड़ने की आवश्यकता पर बल दिया।

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर सारंग मेधेकर, डॉ. मयंक रंजन, डॉ. अमरेन्द्र कुमार, डॉ. बटेश्वर सिंह, डॉ. रणजीत कुमार, डॉ. रामकिशोर सिंह, डॉ. सचिन, डॉ. सुशील, डॉ. शशि मिश्रा, डॉ. जगदीश, डॉ. रत्नेश एवं विभिन्न विभागों के विद्यार्थी  उपस्थित थे।

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