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राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान (ICAR-NISA) का शताब्दी समारोह सम्पन्न

भारत के राष्ट्रपति महामहिम द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि रहीं

रांची: नामकुम स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान (ICAR-NISA) ने अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण होने पर शताब्दी समारोह का भव्य आयोजन किया। इस ऐतिहासिक अवसर पर भारत के राष्ट्रपति महामहिम श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने मुख्य अतिथि के रूप में अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई। कार्यक्रम में झारखंड के राज्यपाल श्री संतोष कुमार गंगवार ने विशिष्ट अतिथि के रूप में समारोह की शोभा बढ़ाई, जिन्होंने राज्य के किसानों और कृषि विकास के प्रति अपनी चिंता व्यक्त की और संस्थान की उपलब्धियों की सराहना की।

राष्ट्रपति का संदेश

राष्ट्रपति महामहिम श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा, “झारखंड की यात्रा मेरे लिए तीर्थ यात्रा जैसी होती है। यह केवल भौगोलिक यात्रा नहीं है, बल्कि यह एक भावनात्मक और सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसी संस्थान का सौ वर्षों तक निरंतर कार्य करते हुए अपने अस्तित्व की पहचान बनाना गर्व की बात है। उन्होंने संस्थान के सभी पूर्व और वर्तमान कर्मचारियों तथा अधिकारियों को इस गौरवशाली इतिहास के लिए बधाई दी। राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि हमें ऐसी तकनीकों का विकास करने की आवश्यकता है, जिससे कृषि उत्पादों, जैसे फल एवं सब्जियों, को लंबे समय तक खराब होने से बचाया जा सके। साथ ही, हमें ऐसी विधियों को विकसित करना होगा जिनका पर्यावरण पर अनुकूल प्रभाव हो और जो वाणिज्यिक एवं आर्थिक दृष्टिकोण से संतुलित हों। उन्होंने विशेष रूप से उच्च मूल्यवर्धित उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया, जिनकी देश और विदेशों में बड़ी मांग है, और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया कि ये उत्पाद उचित मूल्य पर देश के अन्नदाताओं को मिलें।

राज्यपाल का योगदान

राज्यपाल श्री संतोष कुमार गंगवार ने अपने संबोधन में किसानों की मेहनत के उचित मूल्य की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “किसानों को उनकी मेहनत का पूरा और सही मूल्य मिलना चाहिए। वे जो मेहनत करते हैं, उसके लिए उन्हें सम्मान मिलना चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को उनके द्वारा तैयार किए गए मूल्यवर्धित उत्पादों का श्रेय भी प्राप्त होना चाहिए। राज्यपाल ने संस्थान को 100 वर्षों की सफल यात्रा के लिए बधाई दी और आशा व्यक्त की कि आने वाले वर्षों में यह संस्थान और भी ऊँचाइयों को छुएगा।

मुख्यमंत्री की दृष्टि

मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन ने कहा, “आज भी हमारे कई किसान भाई खेती से मजदूर बनने पर विवश हो चुके हैं। यह हमारे लिए चिंता का विषय है।” उन्होंने इस बात पर बल दिया कि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर व्यापक कदम उठाने होंगे। मुख्यमंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि हमें किसानों के लिए एक मजबूत सहायक तंत्र विकसित करने की आवश्यकता है, ताकि वे अपनी कठिनाइयों का सामना कर सकें।

केंद्रीय कृषि मंत्री की घोषणाएँ

केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कार्यक्रम में किसानों के लाभ के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं, जिनमें शामिल हैं:
क्लस्टर आधारित लाख प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना: इससे प्रसंस्करण कार्य आसान होगा और किसानों को अधिक लाभ मिलेगा। यह योजना किसानों को संसाधनों का सामूहिक उपयोग करने की अनुमति देगी, जिससे लागत कम होगी और उत्पादन क्षमता बढ़ेगी।

लाख को वन उपज से हटाकर कृषि उपज का दर्जा: इस पहल से लाख की खेती को एक कृषि उत्पाद के रूप में मान्यता मिलेगी, जिससे इसे सरकारी योजनाओं और समर्थन का लाभ मिलेगा।

लखपति दीदी एवं भैया योजना: यह योजना लाख उत्पादन के क्षेत्र में भी लागू की जाएगी, जिसमें महिलाओं और युवाओं को लाख की खेती में शामिल किया जाएगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) निर्धारण: MSP को उत्पादन लागत से 50% अधिक निर्धारित करने के लिए कदम उठाए जाएंगे, जिससे किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिल सके।

लाख उत्पादन के प्रशिक्षण कार्यक्रम: वर्तमान में 1500 किसानों को लाख उत्पादन का प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसे बढ़ाकर 5000 प्रति वर्ष करने का लक्ष्य है, ताकि अधिक से अधिक किसान लाभान्वित हो सकें।

ICAR के सचिव का योगदान

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सचिव (डेयर) डॉ. हिमांशु पाठक ने संस्थान की सौ वर्षीय यात्रा के दौरान की गई उपलब्धियों का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि प्रौद्योगिकी का अंतिम लाभार्थियों तक स्थानांतरण: यह सुनिश्चित किया गया है कि लाख कृषकों की आय में न केवल वृद्धि हो, बल्कि उनकी मेहनत का सही मुआवजा भी मिले।

लाख की वैज्ञानिक खेती के प्रशिक्षण: लाख की खेती में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने से ग्रामीण किसानों में आत्मनिर्भरता और उत्पादन वृद्धि देखी गई है। इस प्रक्रिया से हजारों किसानों को लाभ मिला है।

डॉ. पाठक ने सभी संबंधित व्यक्तियों और समूहों का आभार व्यक्त किया और भविष्य में आने वाली चुनौतियों के लिए संस्थान के निरंतर विकास की उम्मीद जताई।

कार्यक्रम का समापन
इस अवसर पर डॉ. हिमांशु पाठक ने “माय स्टाम्प”, “लाक्षा 2024”, “विज़न 2047”, और “100 वर्षों की उत्कृष्टता” का लोकार्पण किया। यह लोकार्पण समारोह के अंत में किया गया, जिसमें उनके साथ मुख्य पोस्टमास्टर जनरल (CPGM) भी उपस्थित रहे।
डॉ. श्याम नारायण झा, उपमहानिदेशक (कृषि अभियांत्रिकी), ने संस्थान की उपलब्धियों की सराहना की और भविष्य में भी इसके प्रगति पथ पर अग्रसर रहने की उम्मीद जताई।

संस्थान के निदेशक ने राष्ट्रपति महोदया का धन्यवाद देते हुए कहा, “संस्थान ने ग्रामीण कौशल विकास और औद्योगिकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। MSP निर्धारण, लाख की खेती को कृषि का दर्जा दिलवाने जैसे महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा किया गया है। आने वाले 25 वर्षों में संस्थान का लक्ष्य देश के अग्रणी शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थान के रूप में विकसित होना है।”
इस कार्यक्रम में 3-4 हजार किसानों ने व्यक्तिगत रूप से और 5-6 हजार किसानों ने डिजिटल माध्यम से भाग लिया।
संस्थान ने पिछले सौ वर्षों में लाख उत्पादन के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, जिससे 10 लाख से अधिक कृषि परिवार लाभान्वित हुए हैं। संस्थान का उद्देश्य आने वाले वर्षों में कृषि क्षेत्र में नवाचार और स्थिरता को बढ़ावा देना है।

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