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वन नेशन वन ईलेक्शन होने से देश भर के वकीलों में खुशी

Ranchi: वन नेशन वन इलेक्शन को कैबिनेट से पास कर दिया गया इस मौके पर अधिवक्ता सह भाजपा विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक सुधीर श्रीवास्तव ने कहा की एक साथ चुनाव होने से देश मे सालों भर कहीं न कहीं आचार संहिता लगा रहता है उससे मुक्ति मिलेगी तथा विकास कार्य सालों भर चलते रहेंगे।

अधिवक्ता वर्ष भर पूरे देश मे केस के सिलसिले मे आते जाते रहते हैं तो वर्ष भर पता चलता है की कहीं न कहीं चुनाव हो रहा है और चुनाव में आदर्श चुनाव आचार संहिता की आड़ मे प्रशासन सभी का गाड़ी और पॉकेट चेक करने करते रहता है इससे भी मुक्ति मिलेगा।

वन नेशन वन इलेक्शन देश का मांग था और न्याय पालिका से जुड़े लोग तो खास तौर पर बहुत खुश हैं । सुधीर श्रीवास्तव ने बताया की एक साथ चुनाव होने सरकारी कर्मचारियों का समय तो बचेगा ही वो अब काम ज्यादा करेंगे साथ ही स्कूल बस को जो चुनाव मे ले लिया जाता है उससे पढाई बाधित होती थी अब वो नहीं होगा।और इस सबसे बड़ी बात की जो करोडो रुपये खर्च होते थे वो अब कम होगा, काला धन को चुनाव मे खर्च करने पर भी लगाम लगेगा।

जेएमएम ने मोदी सरकार की कैबिनेट द्वारा ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने पर चिंता जताई है। जेएमएम प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर कहा कि इससे आरएसएस के उन तत्वों को फायदा होगा जो मनुवादी, हेडगेवार के अनुयायी और गांधीवादी विचारधारा के खिलाफ हैं।

Ajsu पार्टी अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो ने इसे सराहनीय कदम बताया। उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक निर्णय से लोकतंत्र को नई मजबूती मिलेगी, साथ ही प्रशासनिक प्रक्रियाओं में सुधार और संसाधनों की महत्वपूर्ण बचत होगी। उन्होंने इस दूरदर्शी निर्णय के लिए प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त किया।

झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष केशव महतो कमलेश जी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं है लोगों का ध्यान भटकने के लिए यह चुनावी मुद्दा है कॉविद रिपोर्ट , सिंह और मिश्रा के पेपर के दावे पर एक साथ चुनाव कराने पर देश के जीडीपी में वृद्धि होगी सरकारी खर्च की गुणवत्ता बढ़ेगी अपराध कम होंगे शैक्षणिक परिणाम बेहतर होंगे ये दावे संदिग्ध हैं क्योंकि यह केवल छह राज्यों (कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, हरियाणा, झारखंड, ओडिशा) के अध्ययन पर आधारित है .

सिंह और मिश्रा के पेपर का दावा है कि विभिन्न चुनावों के बाद आर्थिक विकास दर में अंतर राज्य जीडीपी वृद्धि को प्रभावित करता है, लेकिन यह तर्कसंगत नहीं है क्योंकि कई कारक जीडीपी वृद्धि को प्रभावित करते हैं।लेखक सिंह और मिश्रा खुद कहते हैं कि उनके निष्कर्ष अन्य राज्यों या अवधि पर लागू नहीं हो सकते, इसलिए इन अस्थायी निष्कर्षों पर नीति बनाना अनुचित है। और हमारा देश में पंचायती राज है मुखिया वार्ड सदस्य पंचायत समिति जिला परिषद पार्षद सभी का चुनाव कराना एक साथ संभव नहीं है यह संविधान के खिलाफ है या लोकतंत्र के खिलाफ है बीजेपी आरएसएस की मानसिकता यह रही है किसी भी तरह से संविधान एवं आरक्षण कों खत्म करें.

 

 

 

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