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भाकृअनुप (ICAR)- राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान, रांची के स्थापना का शताब्दी समारोह 20 सितंबर 2024 को होगा आयोजित

महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इस शताब्दी समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में होंगी शामिल

रांची: भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान (ICAR-NISA), जिसे पहले भारतीय प्राकृतिक राल एवं गोंद अनुसंधान संस्थान तथा भारतीय लाख अनुसंधान संस्थान के रूप में जाना जाता था, 20 सितम्बर 2024 को अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे कर रहा है। इस ऐतिहासिक अवसर पर संस्थान में शताब्दी समारोह आयोजित किया जा रहा है, जिसमें भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु मुख्य अतिथि होंगी। संस्थान परिसर में आज आयोजित एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए निदेशक डॉ. अभिजीत कर ने उपरोक्त जानकारी दी।

डॉ. कर ने बताया कि महामहिम राष्ट्रपति के साथ ही माननीय राज्यपाल झारखंड, श्री संतोष कुमार गंगवार विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। इस कार्यक्रम में झारखंड के माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन, माननीय केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी, और रांची के सांसद तथा माननीय रक्षा राज्य मंत्री श्री संजय सेठ सम्मानित अतिथि के रूप में शामिल होंगे।

भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद (ICAR) की ओर से डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर, D.A.R.E.) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप); डॉ. श्याम नारायण झा, उपमहानिदेशक (कृषि अभियांत्रिकी); एवं डॉ. कृष्ण प्रताप सिंह, सहायक महानिदेशक (प्रक्षेत्र अभियांत्रिकी) भी इस अवसर पर मौजूद रहेंगे | इस समारोह में विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, केंद्र और राज्य सरकारों के उच्च अधिकारी, कृषि से संबंधित व्यवसायी, वैज्ञानिक, और 8 से 10 हजार किसान (3 से 4 हजार व्यक्तिगत रूप से और 5 से 6 हजार ज़ूम लिंक और यूट्यूब के माध्यम से) के भाग लेने का अनुमान है।

मुख्य कार्यक्रम के बाद, डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) संस्थान के शताब्दी स्मारक के रूप में “माय स्टाम्प” और साथ ही “लाक्षा 2024”, “विज़न 2047”, “100 वर्षों की उत्कृष्टता” नामक तीन पुस्तकों का लोकार्पण करेंगे। इस अवसर पर मुख्य पोस्टमास्टर जनरल झारखण्ड श्री विधान चन्द्र रॉय, उपमहानिदेशक (कृषि अभियांत्रिकी) एवं सहायक महानिदेशक (प्रक्षेत्र अभियांत्रिकी) भी उपस्थित रहेंगे।

निदेशक डॉ कर ने कहा कि संस्थान ने पिछले एक सदी में लाखों किसानों को लाख की वैज्ञानिक खेती एवं प्रसंस्करण में मदद की है, इसमें मुख्यतः झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, महाराष्ट्र, और पश्चिम बंगाल के पिछड़े जिलों में निवास करने वाले आदिवासी और गरीब किसान शामिल है, जिसमें करीब 10 लाख से अधिक कृषि परिवार लाभान्वित हुए हैं। संस्थान ने अनुसंधान, नवाचार, और खेती, प्रसंस्करण, और अनुप्रयोगों में उन्नति के माध्यम से भारत को लाख उत्पादन में अपनी अगुवाई बनाए रखने में मदद की है। एक प्रमुख नीति योगदान में लाख के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सुरक्षित करने और झारखंड और छत्तीसगढ़ में इसे कृषि उत्पाद के रूप में घोषित करवाने में संस्थान की भूमिका शामिल है। ‘कुसुमी लाख उत्पादन बेर के पेड़ों पर’ और ‘फ्लेमिंजिया सेमियालता पर लाख खेती’ जैसी प्रौद्योगिकियों ने लाख को एक प्लांटेशन फसल में बदल दिया। संस्थान की नवाचारों ने ₹100 करोड़ की अतिरिक्त वार्षिक आय अर्जित की और देश भर में लाख उत्पादन को स्थिरता प्रदान किया। भारत सालाना लगभग 8,000 टन लाख और मूल्यवर्धित उत्पादों का निर्यात करता है।

आयात प्रतिस्थापन और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कृषि उपोत्पादों से उच्च मूल्य वाले अणुओं का विकास और ग्रामीण औद्योगीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि उपोत्पादों से मूल्यवर्धित अणुओं का विकास कर अगले 25 वर्षों में विश्व के अग्रणी संस्थान बनने का लक्ष्य है। निदेशक महोदय ने कहा कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लाख को राष्ट्रीय स्तर पर कृषि उपज का दर्जा देना। लाख को कृषि उपज के रूप में मान्यता देकर इसके उत्पादन और विपणन को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य होना चाहिए।

चक्रीय कृषि को बढ़ावा देने के लिए उन्नत प्रशिक्षण और कौशल विकास केंद्र की स्थापना: आवासीय सुविधाओं के साथ एक विश्वस्तरीय प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया जाना चाहिए, जो किसानों को टिकाऊ कृषि पद्धतियों के लिए प्रशिक्षित करेगा।

लाख के गुन्वातापूर्ण उत्पाद विकास एवं खाद्य पदार्थों की गुणवता के नियंत्रण के लिए लाख के व्यावसायिक परीक्षण एवं खाद्य पदार्थों के परीक्षण हेतु रेफेरल प्रयोगशाला की स्थापना होनी चाहिए, जो निर्यात को प्रोत्साहित करेगा।

संस्थान चक्रीय कृषि के क्षेत्र में प्रतिष्ठा प्राप्त करने और अग्रणी बनने के लिए निरंतर प्रयासरत है। यह अनुसंधान, उन्नत प्रशिक्षण और नई प्रौद्योगिकियों के माध्यम से चक्रीय कृषि के सिद्धांतों को बढ़ावा दे रहा है। संसाधनों के कुशल प्रबंधन और प्रभावी नीतियों के विकास पर ध्यान केंद्रित करके, संस्थान कृषि की स्थिरता और उत्पादकता को सुधारने में जुटा है। इस प्रयास से राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चक्रीय कृषि में नवाचार और नेतृत्व को प्रोत्साहन मिल रहा है।

 

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