Ranchi: सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड के अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग ने “बांग्लादेश संकट पर भारत के नीतिगत विकल्प” विषय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया। प्रोफेसर देवाषिस नंदी, प्रोफेसर, काजी नजरुल इसलाम यूनिवर्सिटी, पश्चिम बंगाल ने उक्त व्याख्यान दिया।
कार्यक्रम की संयोजक डॉ. बिभूति भूषण बिस्वास, सहायक प्रोफेसर, अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग, ने प्रोफेसर देवाषिस नंदी का स्वागत किया और विषय पेश किया। डॉ. आलोक कुमार गुप्ता, डीन, स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज ने अपने स्वागत भाषण में बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डालते हुए एक संक्षिप्त विवरण दिया। डॉ. आलोक ने दिन के वक्ता को प्रश्न के साथ आमंत्रित किया: बांग्लादेश में बिखरी लोकतांत्रिक व्यवस्था और अराजकता के माहौल में भारत को किस प्रकार निति निर्धारित करनी चाहिए?
प्रो.देवाषिस नंदीने अपने व्याख्यान के प्रारंभ में बताया कि प्रधानमंत्री नेहरु से लेकर प्रधानमंत्री मोदी तक के कार्यकाल में बंगलादेश के प्रति हमारी नीतियों में बहुत परिवर्तन नहीं आया हैI भारत की “पूर्व की तरफ देखो नीति” में बंगलादेश की भूमिका प्रमुख हैI आगे उन्होंने कहा कि भारत- बंगलादेश का रिश्ता बहुआयामी है परन्तु चीन की विभाजनकारी नीतियों ने हमारे रिश्तों में खटास बढाई हैI बंगलादेश में वर्तमान में फैले अराजक स्थिति के पीछे अमेरिका की भूमिका से भी इंकार नहीं किया जा सकता है I हालाँकि, उन्होंने अपने व्याख्यान का समापन यह कहते हुए किया कि बंगलादेश में लोकतांत्रिक अस्तित्व के सुदृढ़ीकरण के लिए भारत को दृढ़ इक्षा शक्ति दिखानी होगी। व्याख्यान को आगे बढ़ाते हुए डॉ अपर्णा ने कहा कि बंगलादेश में वर्तमान स्थिति पूरी तरह से पूर्व नियोजित और बाह्य शक्तियों के द्वारा संचालित है I
इस अवसर पर विभाग के सभी शिक्षक, विद्यार्थी एवं शोधार्थी उपस्थित थे। केरल, पश्चिम बंगाल, सिक्किम और दिल्ली के साथ-साथ बंगलादेश और श्रीलंका से भी छात्र और शिक्षक व्याख्यान में शामिल हुए। छात्रों और शिक्षकों को प्रश्नों के माध्यम से प्रोफेसर देवाषिस नंदी के साथ बातचीत करने का अवसर भी मिला। अंत में डॉ. बिभूति भूषण बिस्वास ने कार्यक्रम का समन्वय किया और धन्यवाद ज्ञापन दिया।