रांची: न्यायिक अकादमी ने ‘न्यायिक नैतिकता: न्यायालय के अंदर और बाहर आचरण’ विषय पर एक दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अभय श्रीनिवास ओका उपस्थित थे। उनके अलावा झारखंड उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद सहित अन्य उच्च न्यायालय के न्यायाधीश भी उपस्थित थे।
अपने स्वागत भाषण में विषय पर बोलते हुए झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सह न्यायिक अकादमी झारखंड के प्रभारी न्यायाधीश न्यायमूर्ति रोंगोन मुखोपाध्याय ने कहा कि सम्मेलन में न्यायपालिका की ईमानदारी और निष्ठा के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता दिखाई गई।
दूसरी ओर, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश प्रसाद ने शुक्र नीति का हवाला देते हुए न्यायाधीशों के लिए बताए गए पांच आवश्यक गुणों पर चर्चा की।
मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति ओका ने अपने अनुभव साझा करते हुए जिला स्तरीय न्यायालय पर ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया और वरिष्ठ न्यायाधीशों से न्यायिक नैतिकता के मामले में कनिष्ठ न्यायाधीशों का मार्गदर्शन करने को कहा।
जिला स्तरीय न्यायालय हमारी न्याय व्यवस्था की नींव है। नवोदित न्यायिक अधिकारियों को अनावश्यक बातों पर ध्यान दिए बिना अपने कर्तव्यों का पालन करने पर जोर देना चाहिए। उनके द्वारा किए गए कार्य से लोगों का न्याय व्यवस्था में विश्वास बढ़ता है। उनका आचरण बहुत ही गरिमामय और सभ्य होना चाहिए। न्यायमूर्ति ओका ने उम्मीद जताई कि वरिष्ठ न्यायाधीश भी समय-समय पर नवोदित और कनिष्ठ न्यायाधीशों का मार्गदर्शन करेंगे। न्यायमूर्ति ओका ने झारखंड के विभिन्न जिलों से आए न्यायिक अधिकारियों से भी बातचीत की।