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तीन दिवसीय आरएसएस प्रचारक बैठक संपन्न, प्रचार प्रमुख ने संगठन की बारीकियां बताईं

रांची: सर संघचालक मोहन राव भागवत की देखरेख में रविवार को सरला बिरला विश्वविद्यालय में देश के विभिन्न भागों से आए 227 आरएसएस प्रचारकों की तीन दिवसीय बैठक संपन्न हुई। इस बैठक में संघ की विभिन्न कार्य योजनाओं पर चर्चा की गई और समीक्षा की गई।

समापन दिवस पर संगठन के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख

ने देशभर में आरएसएस की ताकत और भविष्य की योजनाओं के बारे में जानकारी दी।

“संघ की दृष्टि से देशभर में 46 प्रांत हैं। देश के युवा बड़ी संख्या में संघ से जुड़ने की इच्छा जता रहे हैं और जुड़ भी रहे हैं। संघ ने वर्ष 2012 में ज्वाइन आरएसएस (ऑनलाइन थ्रू वेबसाइट) के तहत ऑनलाइन माध्यम शुरू किया था। इसके तहत हर साल एक से सवा लाख लोग ऑनलाइन माध्यम से संघ के साथ विभिन्न गतिविधियों में जुड़ रहे हैं। इस साल भी जून के अंत तक 66529 लोगों ने संपर्क कर संघ से जुड़ने की इच्छा जताई है,” आंबेकर ने बताया।

प्रशिक्षण कार्यक्रम की जानकारी देते हुए प्रचार प्रमुख ने बताया कि इस वर्ष से संघ प्रशिक्षण वर्गों की संरचना एवं पाठ्यक्रम में परिवर्तन किया गया है। इस वर्ष देशभर में 60 संघ शिक्षा वर्ग, 1 कार्यकर्ता विकास वर्ग एवं 11 कार्यकर्ता विकास वर्ग सहित कुल 72 शिविर आयोजित किए गए। जिसमें कुल 20615 लोगों को संगठनात्मक प्रशिक्षण दिया गया। 40 से 65 वर्ष की आयु के लोगों के लिए आयोजित 18 वर्गों में 3335 शिक्षार्थी शामिल हुए। पिछले वर्ष आयोजित प्राथमिक शिक्षा वर्ग में एक लाख नए लोगों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया था। इसी प्रकार, नई संरचना में पहली बार देशभर में सामान्य स्वयंसेवकों के लिए प्रारंभिक वर्ग (तीन दिवसीय) आयोजित किए जा रहे हैं, जिसमें प्राथमिक की तुलना में दोगुने युवा भाग ले रहे हैं।
संघ की पहुंच की जानकारी देते हुए प्रचार प्रमुख आंबेकर ने कहा, समन्वय बैठक 31 अगस्त, 1, 2 सितंबर 2024 को केरल के पलक्कड़ में होगी। विजयादशमी 2025 (100 वर्ष पूरे होने) तक देश में ग्रामीण क्षेत्रों के सभी मंडलों और शहरी क्षेत्रों की सभी बस्तियों में संघ कार्य का विस्तार करने का लक्ष्य रखा गया है। मार्च 2024 तक देश के 58981 मंडलों में से 36823 मंडलों में प्रत्यक्ष दैनिक शाखा थी, इसी तरह शहरी क्षेत्रों में 23649 बस्तियों में से 14645 बस्तियों में संघ कार्य था। शेष में साप्ताहिक या मासिक संपर्क है। वर्तमान में देश में 73117 दैनिक शाखाएं और 27717 साप्ताहिक मिलन चलते हैं। इसके अलावा जहां शाखा कार्य या संपर्क नहीं है, वहां संघ जागरण पत्रिकाओं के माध्यम से लोगों तक सकारात्मक संदेश, आध्यात्मिक विचार और संतों के संदेश पहुंचा रहा है। ऐसे 158532 गांव हैं। जन्मभूमि अक्षत वितरण अभियान के दौरान स्वयंसेवक 15 दिन में देश के छह लाख गांवों तक पहुंचे।
 
आगामी योजना के बारे में उन्होंने कहा कि यह वर्ष पुण्यश्लोक अहिल्या देवी होल्कर की त्रिशताब्दी का वर्ष है। उन्होंने कहा कि पुण्यश्लोक अहिल्या देवी ने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपने जीवन में आदर्श स्थापित किया। स्वयंसेवक पूरे वर्ष समाज के साथ मिलकर उनके जीवन संदेश और जीवन आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाने का काम करेंगे। इसकी शुरुआत 31 मई को इंदौर से हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों के विकास की दृष्टि से गौ सेवा और ग्रामीण विकास को मिलाकर विशेष योजना बनाई जा रही है। दोनों को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में प्रयास बढ़ाए जा रहे हैं, ताकि गांवों की स्थिति में सुधार हो। युवाओं से भी अपील है कि वे 24 घंटे गांव में रहें, इस कार्य को देखें और भागीदार बनें।
उन्होंने कहा: “संघ के स्वयंसेवक देशभर में सेवा कार्य कर रहे हैं। सेवा के साथ-साथ स्वावलंबन पर भी जोर दिया जाता है। ताकि सेवा प्राप्त करने वाला स्वावलंबी बने। जहां-जहां संघ के स्वयंसेवक हैं, मणिपुर समेत उन सभी जगहों पर स्वयंसेवक सेवा कार्य कर रहे हैं और कर रहे हैं।” पर्यावरण संरक्षण को लेकर संघ की गतिविधियों को भी समाज से अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। पंच परिवर्तन के मुद्दों को लेकर भी तैयारियां चल रही हैं और समाज में लगातार संपर्क भी जारी है।
संघ की राजनीतिक गतिविधियों पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा: “संघ सीधे तौर पर चुनाव के कामों में शामिल नहीं होता। संघ जनमत को सुधारने और जनमत को जगाने का काम करता है। इस बार भी स्वयंसेवकों ने छोटी-छोटी संगोष्ठियों के जरिए जनमत को सुधारने का काम किया है। लोकतंत्र में जनता सर्वोच्च है। सभी दल अपने विचार लेकर आगे आते हैं और जनता उस पर अपना फैसला सुनाती है। इसका सभी को सम्मान करना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर संघ की गतिविधियों को भी समाज से अच्छा सहयोग मिल रहा है। पंच परिवर्तन के मुद्दों को लेकर भी तैयारियां चल रही हैं और समाज में लगातार संपर्क भी चल रहा है।
धर्मांतरण पर उन्होंने कहा, ”धोखाधड़ी, बल या लालच से धर्मांतरण नहीं होना चाहिए, यह पूरी तरह गलत है।उन्होंने कहा कि सरसंघचालक पहले ही अपने भाषण में जनसंख्या असंतुलन के बारे में बोल चुके हैं। उन्होंने कहा कि जनसंख्या असंतुलन के बारे में समाज को भी चिंतित होना चाहिए और इस संबंध में जो भी कार्रवाई की जाएगी, संघ उसी दृष्टिकोण से आगे बढ़ेगा।
आपातकाल से जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि आपातकाल लगाना गलत था, लोकतंत्र में ऐसी चीजें नहीं होनी चाहिए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी आपातकाल के खिलाफ संघर्ष किया था और सैकड़ों संघ कार्यकर्ताओं को उत्पीड़न का सामना करना पड़ा था।
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