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‘शिबू सोरेन परिवार से हैं तो वेकैंसी क्रिएट कर नियुक्ति दी जाती है लेकिन  लाखों युवा नियुक्ति वर्ष में भी तरसते रहे’ 

 

 

बाबूलाल मरांडी

लोकतंत्र में जनता का  जनादेश सेवा के लिए मिलता है लेकिन आज हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री बनने के बाद यह स्पष्ट हो गया कि इंडी एलायंस 2019 विधानसभा चुनाव  में  मिले जनादेश का उपयोग केवल शिबू सोरेन परिवार की जागीर को बचाने के लिए किया जा रहा।

शिबू सोरेन परिवार की डिक्शनरी में आदिवासी का मतलब केवल उनका परिवार होता है। बाकी आदिवासी परिवारों को ये अपना  पिछलग्गू बनाकर ही रखना चाहते हैं।

चंपई सोरेन

ये वही चंपई सोरेन हैं जिन्होंने झामुमो सुप्रीमो गुरुजी के साथ कदम से कदम मिलाकर आंदोलन में साथ दिया ।सुख दुख के सहभागी बने लेकिन आज उन्हें अहसास कराया गया कि वे भले पुराने आंदोलनकारी  हैं,योग्य हैं,कर्मठ हैं लेकिन आपको नेतृत्व करने की छूट नही केवल निर्देश के पालन का अधिकार है।

शिबू सोरेन जी का बेटा तीन महीने भी बिना पद का नहीं रह सका। वेकैंसी नही थी तो क्रिएट कर दिया गया।लेकिन आज राज्य के होनहार प्रतिभाशाली लाखों युवा  विभिन्न विभागों में वैकेंसी के बावजूद दर दर भटक रहे।

राज्य के लाखों बेरोजगार युवाओं को नियुक्ति वर्ष में भी नियुक्ति नहीं मिली लेकिन अकारण एक मुख्यमंत्री को हटाकर नए मुख्यमंत्री चुनने में एक घंटे भी नही लगे।

ऐसा लगता है चंपई सोरेन जी पूरी तरह से हेमंत सरकार पार्ट 2 नहीं  बन पाए जिसकी सजा उन्हें भुगतनी पड़ी।

(बाबूलाल मरांडी झारखण्ड में भाजपा अध्यक्ष और झारखण्ड के प्रथम मुख्यमंत्री )

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