बिरहोर समुदाय के लोग सरकारी योजनाओं से हैं वँचित
चार महीना से अधिक समय से गंदा पानी पीने को हैं विवश,2 किलोमीटर दूर से लाते हैं पानी
ओरमांझी -ओरमांझी प्रखंड क्षेत्र से सटे दोहाकातू गांव में बसे बिरहोर समुदाय के लोगों का जीवन कठिनाइयों से गुजर रही है,भले ही केंद्र और राज्य की सरकार बिरहोर समुदाय के लोगों के उत्थान के लिए अनेकों दावे करते हैं, और योजनाएं चलाती है, मगर इन बेचारे तक सरकारी योजनाएं नहीं पहुंच पाती है, इनका दोषी कुर्सी पर बैठे अधिकारी हैं .
यह लोग हमेशा सरकारी योजनाओं से हमेशा अपेक्षित रहते हैं,इन लोगों के सामने जाने से इन के परेशानी देखने को मिलता है,जंगल झाड़ में रहने वाले बिरहोर जाति के लोगों को ना तो सही से पीने का पानी मिल रहा है, ना रहने सहने का कोई सही ठिकाना, ना शिक्षिका चिकित्सा।
ये लोग प्लास्टिक रस्सी बनाकर बजारों में बेचते हैं और किसी तरह अपना जीवन यापन करते हैं। गांव में लगे चपानाल व पानी टंकी ठेकेदारों के रहमोकम से खराब हो चुकी है। जिसके चलते यह लोग 2 किलोमीटर अधिक से दूर जाकर ड़ाढ़ी कुआँ से गंदा पानी लाते हैं और पीते हैं। जिससे वह बीमारी पड़ रहें हैं।
दोहाकातू में बसे 15 परिवार के लोग जहां लगभग 90 से अधिक लोग रहते हैं, जहां महज एक बेटी सुरोबला कुमारी मैट्रिक पास है। इन बिरहोर के पढ़ाई चिकित्सा सुविधा पर भी सरकार की ध्यान नहीं हैं,जन वितरण प्रणाली की दुकान से इन बिरहोर लोगो क़ो चावल मिलता है लेकिन उस पर भी हक मारी किया जाता हैं।
दोहाकातू गांव रांची रामगढ़ बॉर्डर पर पहाड़ो जंगलो के बीच बसा एक छोटा से टोला हैं, जहां के बुजुर्ग महिला पुरुषों कई कई महीनो से वृद्धा पेंशन तक नहीं मिला है,जिसके चलते इनके घरों में खाने पीने को लाले पड़े हैं। साल भर में सायद कोई नेता या अधिकारी गांव पहुंचते हैं, और पहुंचते हैं तो झूठे दिलासे देकर चले जाते हैं,जिसके चलते बिरहोर झारखण्ड से विलुप्त होती जा रहें हैं,सरकार को इन समुदाय के उत्थान के लिए विशेष कदम उठाने चाहिए,बिरहोरों के पढ़ाई के लिए महज एक आंगनबाड़ी केंद्र है, जहां की सहिया की मौत हो चुकी है सहायिका शकुंतला देवी चला रही है।