स्वामी परिपूर्णानंद जी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि भारत के इतिहास में सामाजिक व्यवस्था को देखते हुए ऐसा लगता है कि कहीं न कहीं हमारे पूर्वजों से गलती हुई है जिसके कारण आज हमारा जनजाति समाज भ्रमित है. आज के युग में वर्ग विहीन संभव नहीं है लेकिन वेदों के अनुसार हम सभी एक ही माता के संतान हैं. भारत माता सबकी माता है, माता के हर वर्ग को पुष्ट करना हमारा कर्तव्य बनता है. वनवासी कल्याण केन्द्र के सेवा कार्यों के माध्यम से ये संभव होगा.
इसके पूर्व प्रांत अध्यक्ष सुखी उराँव ने स्वागत भाषण में अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि 26 दिसम्बर, अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम की स्थापना 26 दिसंबर 1952 को जशपुर में और वनवासी कल्याण केन्द्र, झारखण्ड की स्थापना 1969 में हुई थी. संस्था अभी झारखण्ड में जनजाति समाज के सर्वांगीण विकास हेतु 14 आयामों के अन्तर्गत 935 स्थानों पर 1779 प्रकल्प संचालित कर रहा है.
धन्यवाद ज्ञापन देते हुए राँची महानगर अध्यक्ष सज्जन सर्राफ ने भवन के शिलान्यास को याद करते हुए कहा कि इस नवनिर्मित भवन का शिलान्यास जूना पीठाधीश्वर के पूज्य स्वामी अवधेशानन्द गिरी जी महाराज द्वारा रखा गया था. शिलान्यास के समय पूज्य स्वामी अवधेशानन्द गिरी महाराज ने कहा था कि धार्मिक पूजा-पाठ आदि कार्यों जैसे वनवासी बन्धुओं की निःस्वार्थ सेवा भी समान पूण्य कार्य है. मुझे इस भवन का शिलान्यास करने का अवसर मिला, उसे अपना सौभाग्य मानता हूँ. समाज के सबके सहयोग से यह निर्माण कार्य शीघ्र पूर्ण हो ऐसी मेरी इच्छा है” उनके दिये गये आशीर्वचन से निर्मित भवन का उद्घाटन आज चिन्मय मिशन आश्रम, राँची के पूज्य स्वामी परिपूर्णानंद सरस्वती के कर कमलो द्वारा हुआ. यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है
इस भवन निर्माण में अपना योगदान देनेवाले सहयोगियों को अंग वस्त्र और मोमेंटो देकर विशेष सम्मानित किया गया. विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह आलोक कुमार, वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्येन्द्र सिंह, कार्तिकेय ग्रुप आफ इंडस्ट्रीज, हैदराबाद के महेश बल्दवा, उद्योगपति रमेश अग्रवाल, आर.के. अग्रवाल, सूरत की देवकन्या कोठारी एवं अन्य गणमान्य लोगों का परिचय महामंत्री रिझु कच्छप द्वारा कराया गया.